Sunday, May 12, 2024
भारत - अमेरिका युद्धाभ्यास: भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास पर चीन की आपत्ति निहायत बचकानी और गैर-जरूरी है।
जिस जगह यह अभ्यास चल रहा है, वह वास्तविक नियंत्रण-रेखा से 100 किलोमीटर दूर है। चीन ने एक तरह से भारत पर आरोप लगाते हुए कहा है कि भारत ने साल 1993 के बाद हुए द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है।
चीन ने अमेरिका को भी नसीहत दी है कि वह भारत-चीन संबंधों के बीच में न आए। मगर क्या यह संभव है? आज की दुनिया में देशों के हित परस्पर जुड़े हुए हैं।
भारत साल 2004 से ही अमेरिका के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास करता आ रहा है। कभी अमेरिका, तो कभी भारत की जमीन पर संयुक्त सैन्य अभ्यास नई बात नहीं है। चीन को अगर ऐसे सैन्य अभ्यास से किसी प्रकार की आशंका लगती है, तो उसे साफ कहना चाहिए और उस पर सुधार के लिए विचार भी करना चाहिए।
भारत की सैन्य तैयारी समय की जरूरत है और अमेरिका के साथ ऐसी तैयारी के खास मायने भी हैं। हरेक देश को अपनी सुरक्षा के प्रबंध का पूरा अधिकार है।
दरअसल, चीन 1993 और 1996 में हुए समझौतों का हवाला दे रहा है, लेकिन वह स्वयं इन समझौतों को कई दफा तोड़ चुका है। गलवान, गोगरा और पैंगोंग इत्यादि क्षेत्रों में आगे बढ़कर सीमा का अतिक्रमण और स्थायी निर्माण करके, सीमा से सटे इलाकों में सैन्य ढांचा बनाकर चीन पुराने समझौतों को पहले ही धता बता चुका है।
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