Lifestyle: असहायो की सेवा का फल

Tuesday, February 11, 2025
छली-कपटी और दुराचारी को भगवान सहन नहीं करते, जबकि निर्मल हृदय वाले, सदाचारी भक्त भगवान की कृपा के स्वतह पात्र बन जाते हैं।
परम विरक्त संत रामसुखदास जी कहा करते थे की जो व्यक्ति मान अपमान की भावना त्याग कर भगवान की शरण में चला जाता है उसे किसी भी अभाव की अनुभूति नहीं हो सकती।
एक साधक ने स्वामी जी से प्रश्न किया, मैं रोजी रोटी के साधन जुटाने में इतना व्यस्त रहता हूं की भक्ति उपासना नहीं कर पाता। मेरा कल्याण कैसे होगा?
स्वामी जी ने कहा, आप चार संकल्प लें किसी का जीना दुखाए, यथासंभव असहाय और रोगियों की सेवा करें, सत्य बोले और शय्या त्यागने से पहले तथा रात्रि में सोते समय भगवान का स्मरण करें। कपट चालाकी और छल से दूर रहें। भगवान स्वतह कृपा दृष्टि करेंगे।
कुछ छड़ रुक कर उन्होंने कहा, वास्तव में भगवान ने सब को अपना स्वीकार कर रखा है, किंतु हम अपनी असीमित इच्छाओं के लालच में पडकर झूठ, कपट आदि की शरण में चले जाते हैं और यह कहने लगते हैं कि बिना झूठ कपट के सफलता नहीं मिलती है। यह भ्रम ही हमारे पतन का कारण बनता है। छली कपटी और दुराचारी को भगवान कदापि सहन नहीं करते, जबकि निर्मल हृदय वाले सदाचारी भक्त भगवान की कृपा के पात्र बन जाते हैं।
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