बृजनाथ तिवारी संवादाता गोलाबाजार: संसार में कठिनाईयां गतिशीलता बनाए हुए हैं। इन्हीं के कारण मनुष्य को अपने जीवन में समय-समय पर अपनी कार्य कुशलता का परिचय देने का अवसर प्राप्त होता है। मनुष्य की अपनी सजगता और सावधानी के कारण भी उसके कार्य के मार्ग में आने वाली बाधाएँ हैं। जीवन में बार-बार ठोकरें खाकर ही मनुष्य अनुभवी होता है। बार-बार संघर्ष करने से आपकी त्रुटियों में सुधार होकर योग्यता में वृद्धि हो जाती है। कष्टों से मनुष्य दृढ़ तथा साहसी बनता है। हथियार पत्थर पर रगड़ने से ही पैने होते हैं। हीरे में चमक आ जाती है।कठिनाइयों की आवृत्ति से मनुष्य में चेतनता आ जाती है। मनुष्य की जो शक्तियाँ छिपी रहती है, प्रयोग में न आने के कारण जो शक्तियाँ अभिव्यक्त नहीं होती, वे प्रत्यक्ष में आकर कार्य में सहायक हो जाती है।
जीवन में कार्य करने की जागरूकता तथा उससे प्राप्त आनंद तभी स्थायी रहता है जबकि कार्य में कष्टों का समावेश हो। इतिहास में प्रसिद्ध व्यक्तियों ने कष्ट सहे तो उनके सामान्य कार्य भी उनको अमर कर गए, वरना वे सामान्य रह जाते। जैसे प्रताप, शिवाजी, गाँधी, सुभाष आदि कष्ट सहने के कारण महान बने। वे इनके बिना सामान्य मनुष्य होते। जागरूकता और परिश्रम से किए कार्य बिना कष्ट उठाए नहीं पूरे हुए। कष्ट के द्वारा प्रभु मनुष्य की परीक्षा लेते हैं। जो मनुष्य इस परीक्षा में सफल होते हैं उन्हें आनंद मिलेगा। परीक्षा से डरने वाले उन्नति नहीं कर सकते, उनकी इच्छाएँ पूरी नहीं होती है।